पूतना कौन थी ? पूतना कोई साधारण स्त्री नहीं थी। पूर्वकाल में वह राजा बलि की बेटी थी, जिसका नाम रत्नमाला था । वो बहुत ही गुणवान और रूपवती थी।
एक बार जब राजा बलि अपने 100 अस्वामेद्घ यज्ञ पूरे करने वाले थे तो उस समय भगवान वामन राजा बलि की परीक्षा लेने आए । वामन भगवान बहुत सुंदर और छोटे थे।
भगवान वामन आए तो उनका रूप सौन्दर्य देखकर रत्नमाला की ममता जाग उठी । रत्नमाला ने सोचा की 'मेरा विवाह होने के बाद मुझे भी ऐसा ही पुत्र प्राप्त हो तो मैं उसको गले लगाऊं और उसको अपना खूब दूध पिलाऊं।'भगवान वामन ने रत्नमाला की इच्छा जानकार उसको तथास्तु कहा । परंतु जब छोटे से वामन भगवान विराट हो गया और उसने बलि राजा का सर्वस्व छीन लिया तो रत्नमाला क्रोधित हो गई अपने मन मे कहा की "मैं इसको दूध पिलाऊं? नहीं इसको तो मैं जहर पिलाऊं, जहर!'भगवान वामन ने रत्नमाला की यह इच्छा भी जानकार उसको तथास्तु कहा ।
कालांतर में वही राजकन्या पूतना हुई। संयोग ऐसा बैठा कि विष्णु अवतार कान्हा को दूध भी पिलाया और जहर भी। उसे भगवान ने अपने स्वधाम भेज दिया।तब पूतना कंस द्वारा भेजी गई राक्षसी थी और श्रीकृष्ण को स्तनपान के जरिए विष देकर मार देना चाहती थी। कृष्ण को विषपान कराने के लिए पूतना ने एक सुंदर स्त्री के रूप में वृंदावन जा पहुंची। जैसे ही पूतना ने बालक कृष्ण को स्तनपान कराया। उसी दौरान श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया। इस तरह श्री हरि ने दो अवतारों में पूतना की इच्छा पूर्ण की।
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