कृष्ण जन्म महोत्सव
जब कृष्ण गोकुल पहुचे तो सारे ब्रज मे उल्लास मनाया गया । धरती खिल उठी मुरझाए फूल खिल गए शीतल वायु बहने लगी तरह तरह के पच्ची गीत गाने लगे । कृष्ण जी को एक सुंदर से झूले मे लिटाया गया उनको सुंदर कपड़े पहनाए गए । तरह तरह के बधाई गीत गाये जा रहे थे । पूरा गोकुल मे उत्सव का महोल था ऐसा लग रहा था मानो की जैसे कोई उत्सव हो ,और हो भी क्यो न आखिर भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था ।
कृष्ण जन्म महोत्सव की तैयारी
कृष्ण जन्म महोत्सव की तैयारी मे तो पूरा गोकुल ही लगा था । नन्द बाबा ने पूरे गोकुल को भोजन करने की तैयारी मे लगे थे तो माँ यशोदा कृष्ण जी को तैयार करने और पूरे भवन की साज सज्जा मे लगी थी ।
कोई कुछ काम कर रहा था तो कोई कुछ सब अपने अपने काम मे लगे थे । कोई सभी गायों को साफ कर रहा था । कोई नगर को सजा रहा था । कृष्ण जन्म महोत्सव की तैयारी अपने पूरे ज़ोर पर थी।
सारी धरती मे एक अजीब सी शांति और खुशी की अनुभूति हो रही थी । और होना भी चाहिए क्यो की उनके तारण हार जे अवतार लिया था । मनुस्यों के साथ साथ आकाश मे देवता भी इस उत्सव को बड़ी धूम धाम से मना रहे थे । आकाश से फूलो की वर्षा हो रही थी सारे देवता भी कृष्ण के इस बाल रूप का दर्शन करना चाहते थे और उनमे से तो कई देवता मनुस्य का रूप ले कर गोकुल भी आए थे ।
कृष्ण जन्म महोत्सव मे नन्द बाबा ने खूब दान दिया और यशोदा माँ ने भी दान दिया । कृष्ण के मुख पर ऐसा तेज़ था की किसी की नज़र उनसे हटती ही नहीं थी । ऐसा आलोकिक रूप तो पहले कभी ने नहीं देखा था। सब यही कहते की कोई देवता ने ही जन्म लिया है ।
सारी गोपिया उनको अपने गोद मे लेने को ललयइट हो रही थी । मानो की जैसे कृष्ण उनके ही पुत्र हो ।
इस तरह कई दिनो तक भाति भाति के कार्यक्रम हुए और सभी ने बहुत उल्लास मनाया ।
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