पूतना का उद्धार
krishna ko doodh pilati hue pootna |
जब कंस को पता चला की उसको मारने वाला गोकुल पहुच चुका है तो उसको बड़ी चिंता होने लगी की आखिर वो कौन है उसको कैसे पहचाना जाए । 5 दिन बीत गए थे इसी बीच उसका मंत्री आता है और उसको ये राय देता है की क्यो ना गोकुल मे सभी नवजात शिशुवों ही हत्या करवा दी जाए इससे वो भी मर जायेगा जिससे आपको भय है।
तो कंस बोलता है की -"अरे मूर्ख अगर हम लोगो ने ऐसे किया तो सारी प्रजा बगावत कर देगी और हमारी सत्ता हो सकता है हमारे हाथ से चली जाए । "कोई दूसरा उपाय बताओ । तब उसके मंत्री ने पूतना का नाम सुझाया तो कंस के मुख पर एक चमक आ गई।
कंस ने पूतना को बुलाया -तब कंस ने पूतना को बुलाया वो बड़ी ही विशाल आकार वाली काले मुख वाली उसकी बड़ी बड़ी भयानक आंखे थी बड़े बड़े दाँत और नख थे । वो बड़ी ज़ोर ज़ोर से हस रही थी। पूतना ने कहा -"कहो कंस महाराज मुझे कैसे याद किया । "कंस ने पूतना से कहा- "हे पूतना गोकुल मे हमे मारने वाला कोई जन्म ले चुका है जाओ उसे मार दो "पूतना ने कहा की एक छोटे से शिशु के लिए आपने मुझे बुलाया है । तब कंस बोला की वो कोई साधारण बालक नही है बहुत मायावी है । तुम जाओ और बड़ी ही चालाकी से उसको मार दो । फिर पूतना ने एक योजना बनाई की वो कृष्ण को अपना दूध पिला कर मार देगी और उसने अपने स्तनो मे जहर लगा लिया
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पूतना भेष बदलकर गोकुल गई
जब पूतना गोकुल पहुची तो वह पर हर तरफ कृष्ण के जन्म की खुशिया मनाई जा रही थी ।कृष्ण को जन्म लिए आज 6दिन हो गए थे । पूतना ने देखा की सब औरते एक ही घर मे जा रही है तो वो समझ गई की यही वो बालक है जिसको मारने के लिए कंस ने हमे यहा भेजा है। वो तुरंत ही अपना रूप बदल लेती है और एक सुंदर स्त्री बन जाती है ।
अपने दोनों हाथो मे कमल के फूल ले के उन्हे घूमाते हुए वो चल रही थी जो कोई भी उसे देखता वो देखता ही रह जाता जैसे कोई अप्सरा ही धरती पर आ गई हो। वो सब से नन्द बाबा का घर का पता पूछती थी।
बाल कृष्ण द्वारा पूतना का वध होना
जब पूतना नन्द जी के भवन पहुची तो बहुत भीड़ थी वो एक गोपी से पूछती है की बालक कहा है तो वो गोपी भी उसे देखती रह जाती है फिर वो गोपी से पूछती है की बालक की माँ कहा है तो गोपी उसे यशोदा की तरफ इसारे से बताती है। फिर वो यशोदा के पास जाती है और उसे खूब गले लगती है और बधाई देती है। यशोदा पूतना को पहचान नही पाती है और उससे पूछती है की -आप कौन है तो पूतना यशोदा से कहती है की वो उसकी दूर की चचेरी बहन है । फिर वो कृष्ण को अपने गोद मे लेने के जिद करने लगती है। तो यशोदा मान जाती है। और कृष्ण को पूतना की गोद मे दे देती है।
फिर पूतना कृष्ण को खिलाने लगती है और मौका पाकर कृष्ण को अपना विषैला दूध पिलाने लगती है । कृष्ण उसका दूध बड़े प्रेम से पीने लगते है पूतना को लगता है की अब ये बालक मर जायेगा परंतु कृष्ण दूध के साथ साथ उसका प्राण भी खीचने लगते है। पूतना को अब बहुत ही पीड़ा होने लगी वो कृष्ण को अपने से दूर करने लगी परंतु वो विफल रही अब वो इधर उधर भागने लगी और अपने असली रूप मे आ गई
उसका ये रूप देख कर सब डर गए । पूतना अब अपने विशाल भयानक रूप मे आ चुकी थी और आकाश मे उड़ने लगी थी परंतु कृष्ण ने उसको नही छोड़ा था। और उसका प्राण कृष्ण ने हर लिया पूतना एक जगह गिर पड़ी और उसकी आत्मा कृष्ण मे लीन हो गई । कृष्ण ने पूतना को वही गति प्रदान की जो उन्होने माँ यशोदा के लिए सोच कर रखी थी।
सब लोग भागते हुए आए तो देखा की पूतना मरी पड़ी है और बाल कृष्ण खेल रहे है। यशोदा ने कृष्ण को उठा कर अपने गले से लगाया । घर ले जाकर यशोदा माँ ने कृष्ण की नज़र गाय की पूछ से उतारी थी।
पूतना का अंतिम संस्कार करना
पूतना का मृत शरीर वह पड़ा था तो नन्द बाबा ने सोचा की अगर ये शरीर यहा ऐसा ही पड़ा रहा तो सड़ेगा और बीमारी फैलेगी तो उन्होने गाव वालों के साथ मिलकर उसके शरीर को कई टुकड़ो मे बाट दिया और फिर कई सारी चिताए बनाकर उन टुकड़ो को जला दिया जब वो चिताए जल रही थी तो उसमे से एक विशेष प्रकार की सुगंध आ रही थी जिससे पूरा गोकुल सुगंधित हो रहा था।
इस प्रकार बालकृष्ण ने पूतना का उद्धार किया
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