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                                                कृष्ण कौन है             

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      कृष्णा कौन  हैं ,हम सभी को जैसा मालूम है कि कृष्णा जी भगवान विष्णु के अवतार थे। देवकी ,यशोदा इनकी माता थीं और वासुदेव और नन्द बाबा इनके पिता थे।  क्या वास्तव में हम लोग कृष्णा जी को जान पाए है जिनको बड़े बड़े ऋषि मुनि नहीं जान पाए उनको हम आप कैसे जान पायगे।  

    भागवान कृष्णा को हम लोग टुकड़ो में जानते है। 

    हम लोग इनको कभी कान्हा बोलते कभी लड्डू गोपाल बोलते है कभी माखनचोर बोलते है तो कभी रणछोर तो कभी श्याम कभी माया पति तो कभी मधुसूदन कहने का तातपर्य यह है की हम सभी उनको जानते है टुकड़ो में और प्राप्त करना चाहते है  पूर्णता को। 
                                                     
    वो ईश्वर थे वो जो चाहते वो होता परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया कुछ लो मेरी इस बात से सहमत ही नहीं होंगे 
    तो मै उंनसे ये कहना चाहता हूँ की किशना ने राधा से प्रेम किया  परन्तु विवाह हुआ  रुक्मणि से।  उन्होंने कभी भी   विधि के विधान में हस्तक्चेप नहीं। वो एक योगी भी थे एक योगी की तरह उन्होंने सांसारिक जीवन जिया।
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    धर्म के रक्छक और समाज सुधारक

    भगवान श्री कृष्णा धर्म के रक्छक  तो थे परन्तु एक  समाज सुधारक भी थे इस विषय में एक कथा है की एक
     नरकासुर नाम का एक असुर 16000   कन्याओ  को उसने बंदी बना कऱ उनसे विवाह करना चाहता था परन्तु महिलाये उससे विवाह नहीं करना चाहती थी। उन्होंने ईश्वर से प्राथना की तो उनसे नारद जी मिलने आये। नारद जी ने  कहा की आप  सब को योगेश्वर श्री  कृष्णा से सहायता मांगनी चाहिए। तो उन सभी 16000   कन्याओ  ने कृष्णा जी से प्राथना की कि हम सब की रक्छा  करे। कृष्णा जी उन सभी  की प्राथना
                                                Krishna Had 16000 Wives How Why – Ramani's blog 
    को स्वीकार किया और नरकासुर का वध किया और 16000 कन्याओ  को मुक्त कराया   परन्तु  उन  कन्याओ ने कृष्ण जी से  कहा की हम सब अब कहा जाए ना तो हमें हमारे घर वाले स्वीकारेगे और न ही समाज में उनसे कोई विवाह करेगा अब तो हमारे पास सिर्फ दो ही रस्ते है या तो हम मर जाये या वेश्यावृत्ति अपना ले।  तो कृष्ण जी  ने सोचा की इससे तो धर्म और समाज की बहुत हानि होगी तो कृष्ण जी ने उन सभी से विवाह करने का  निश्चय किया।
                         
                                             धर्मो रक्षति रक्षितः 
                                 

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