एक समय की बात है एक बार गोकुल मे एक फल बेचने वाली थी वो फल बेच कर अपना जीवन यापन कर रही थी और प्रभु की भक्ति करती थी एक बार वो सारा दिन गाँव मे घूमती रही सुबह से शाम हो गई परंतु उसकी बोहनी भी ना हुई और वो जिस किसी से भी पूछती की बेटा फल ले लो ताजे और मीठे है तो लोग बोलते ना माई आज जरूरत नहीं है । बहुत ही दुखी और परेशान हो गई थी की शायद आज उसे भूका ही सोना ना पड़ जाए। यही विचार अपने मन मे लिए वो आगे बढ़ती जा रही थी और बोलती जा रही थी की -फल ले लो फल ताजे ताजे फल ले लो । यही बोलते बोलते वो फल बेचने वाली नन्द बाबा के भवन के पास जा पाहुची और अपनी फलो से भरी टोकरी को अपने सर से उतारा और वही बैठ कर अपना पसीना पोछने लगी और ऊपर आसमान की तरफ देख कर बोली की -आज भूका ही रक्खो गे प्रभु ।
फिर वो भवन के अंदर देखने लगी की शायद यशोदा रानी देख जाए तो कुछ फल ले ले परंतु वहा कोई नहीं था । तो उस फल बेचने वाली ने कृष्ण को पुकारा -लल्ला अरे ओ लल्ला कहा हो तुम फल ले लो । कुछ देर ऐसा पुकारने के बाद कृष्ण भवन के बाहर आए सर पर मोर मुकुट पैरो मे पैजनिया कमर मे कमर बंध और उसमे एक छोटी और प्यारी से मुरली धारण किए हुए अपने छोटे छोटे कमल चरणों के द्वारा उस फल बेचने वाली के पास आए और बड़े ही प्यार से बोले -हे माई क्या काम है ,मैया तो है नहीं । वो फल बेचने वाली कुछ देर तक प्रभु को एक टक देखती रही फिर उस फल बेचने वाली ने कहा की लल्ला तुझको तो देखकर ही मेरी सारी थकान जैसे गायब ही हो गई है । ऐसा क्या जादू है रे तुझमे ।
कृष्ण बोले -मै कोई जादूगर थोड़े ही हु मै तो अपनी मैया का लल्ला हु । परंतु तुमको क्या चाहिए । तो उस फल बेचने वाली ने कहा -फल लायी हु थोड़े से लो तो आज भूका ना सोना पडे । उस फल बेचने वाली की बात सुनकर कृष्ण बोले -मैया तो है नहीं । इस पर उस फल बेचने वाली ने कहा की -मैया नहीं है तो क्या हुआ तुम ही ले लो । तब कृष्ण बोले -पर तुम तो धन मगोगी और धन तो मेरे पास है नहीं । तो उस फल बेचने वाली ने कहा -अगर धन नहीं है तो थोड़ा सा अनाज ही दे देना रे ।
कृष्ण दौड़ कर भवन के अंदर गए और अपनी अंजुली मे अनाज भर कर चल दिये कृष्ण के हाथ छोटे है तो रास्ते मे अनाज गिरता भी जा रहा था और जब कृष्ण उस फल बेचने वाली के पास पहुचे तो उनके हाथो मे सिर्फ अनाज के कुछ ही दाने बचे थे । उस फल बेचने वाली ने कहा -कितना अनाज लाये हो लल्ला । तो कृष्णा बोले -वो मेरे हाथ छोटे है ना तो सारा अनाज रास्ते मे ही गिर गया अब ये ही बचा है ।
फल बेचने वाली ने कहा -कोई बात नहीं ये ही बहुत है उसने सारे फल कृष्ण को दे दिये और वो अनाज के दाने को अपनी टोकरी मे रख कर जाने लगी और बोली की -आज बड़ा ही अच्छा सौदा हुआ है हा बड़ा ही अच्छा सौदा हुआ है । और जब वो फल बेचने वाली अपने घर पाहुची तो उसने अपनी टोकरी मे देखा तो उसकी आंखे फटी की फटी रह है उसकी आश्चर्य का कोई ठिकाना ही न रहा जो अनाज के दाने कृष्ण ने दिये थे वो अब बहुमूल्य रत्नो और हीरे मोती मे बादल गए थे जिनसे पूरी टोकरी ही भरी थी । ये देख कर उस फल बेचने वाली ने कृष्ण को हाथ जोड़कर धन्यवाद किया ।
इस प्रकार प्रभु ने उस फल बेचने वाली पर कृपा की और अपनी एक और लीला का विस्तार किया ।
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