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SUNIL GUPTA

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  • krishna and kaliya

    krishna and kaliya

    krishna and kaliya
    krishna and kaliya

    कालिया नाग कद्रू का पुत्र और पन्नग जाति का नागराज था। वह पहले रमण द्वीप में निवास करता था। लेकिन पक्षीराज गरुड़ से शत्रुता हो जाने के कारण वह यमुना नदी में रहने लगा था। जिस कारण यमुना नदी का जल बहुत ही विषैला हो गया था । यमुना नदी के जिस कुंड मे कालिया नाग रहता था उसका जल खौलता रहता और उस कुंड के ऊपर से निकलने वाले नभचर प्राणी भी उस विष की गर्मी से अचेत हो जाते थे । 
    पूरे गोकुल मे इस बात की चर्चा हो रही थी की उस कालिया नाग को कैसे भगाया जाए पर सब विवश थे क्यो वो बहुत ही विषैला और शक्तिशाली था। भगवान श्रीक़ृष्ण को भी उसके बारे मे पता चला तो उन्होने उसे यमुना से भगाने का निश्चय किया । 
    एक दिन कृष्ण अपने बाल सखाओ के साथ यमुना के तट पर गेद खेल रहे थे लेकिन मनसूखा को कोई गेद नहीं दे रहा था तो उसने कृष्ण से कहा की -कान्हा तुम मुझे गेद दो न कोई मुझे गेद नहीं दे रहा है । कृष्ण बोले-ठीक है मै तुमको गेद देता हू पर उसे पकड़ लेना । तब कृष्ण ने बड़ी ज़ोर से गेद को फेका तो मनसूखा गेद को पकड़ ना सका और गेद यमुना मे जा गिरी । 
    इस पर सभी ग्वाले शोर मचाने लगे जिसने गेद फेकी है वही गेद लाएगा ऐसा सुनकर कृष्ण बोले ठीक है मै गेद लाता हू ऐसा कहकर कृष्ण  कदंब के पेड़ पर चड़ गए ये देखकर सभी ग्वाल बाल चिल्लाने लगे की कृष्ण नीचे आ जाओ हमे गेद नहीं चाहिए परंतु कृष्ण कहा सुनने वाले थे कृष्ण ने यमुना मे छलांग लगा दी । कृष्ण यमुना की गहराई मे समाते चले गए और वहा पाहुच गए जहा कालिया नाग अपनी चारो पत्नियों के साथ रहता था । कालिया नाग की पत्नियों ने जब कृष्ण को देखा तो वे सब मन्त्रामुग्ध हो गई । जब कृष्ण कालिया नाग की तरफ बढ़ने लगे तो उन चारो मे से एक स्त्री बोलती है की -अरे अरे कहा चले आ रहे हो ,यहा क्या करने आए हो । कृष्ण बोले -मेरी गेद यहा गिर गई है उसे ही लेने आया हू । तब दूसरी स्त्री बोलती है की - अरे गेद क्या अगर यहा हाथी भी गिर जाए तो जलकर भस्म हो जाता है जाने तू  कैसे बच गया जा वापस चला जा । कृष्ण बोले -बिना गेद लिए अगर मै वापस चला गया तो मेरे मित्र मुझ पर क्रोध करेगे । तभी चारो स्त्री बोलती है की -मित्रो के क्रोध से तो तू बच जाएगा परंतु नागराज के क्रोध से तुझे कोन बचाईगा । कृष्ण बोले -तुम बचाओगी न मैया । 
    मैया सुनकर उन चारो के कानो मे अमृत सा घुल गया था मानो उन चारो को कृष्ण पर बड़ा ही प्रेम आ रहा था । वे बोली तेरा भाग्य अच्छा है जो नागराज सो रहे है जा चला जा मै तुझे बाहर छोड़ कर आती हू । तभी कृष्ण क्रोध मे बोले की -मुझ पर दया ना करो नागरानी अपने पति पर दया करो जिसने अपने विष से यमुना के जल को विषैला कर दिया है जिससे सारे पशु पक्छि मर रहे आज मे इसे यहा से निकालने आया हू । 
    तभी कालिया नाग जाग जाता है और बड़े ही क्रोध मे बोलता है -कौन है जिसने हमारे आराम मे विघ्न डाला है । उधर पूरे गोकुल मे हाहाकार मच गया की कृष्ण यमुना मे कूद पड़े है नन्द बाबा ,यशोदा और बलराम सहित सारे गाँव वाले यमुना तट पर आ गए मैया का तो रो रो कर बूरा हाल था । मनसूखा बोला -कृष्ण यमुना मे कूदा और फिर निकला ही नहीं । 
    यमुना के अंदर कालिया बोला के कौन है और ये अभी तक जीवित कैसे है । तभी उसकी एक पत्नी बोली की -ये अबोध बालक है ये खुद ही यहा आ गया है इसे छमा कर दे स्वामी ,कालिया बोला -छमा करना हमारे स्वभाव के विपरीत है । कौन हो तुम । कृष्ण बोले -कृष्ण । कालिया -कौन कृष्ण । कृष्ण बोले -वो कृष्ण जो काल का भी काल है जो तुम जैसे पापियो को मारने के लिए इस धरा पर अवतार लिया है हमे पहचानो कालिया । 
    इतना सुनते ही कालिया नाग कृष्ण पर छपट पड़ा और दोनों मे ही बड़ा ही भयंकर युद्ध हुआ कालिया कृष्ण को अपनी कुंडली मे जकड़ लेता है और विष की फुँकार छोड़ता है तो कभी डसता है परंतु भगवान उसे युद्ध मे हरा ही देते है कृष्ण कालिया के फनो पर चड़ जाते है और अपने चरणों से बड़ी ज़ोर से दबाने लगते है जिससे कालिया नाग का बुरा हाल हो जाता है और वो उठ नहीं पाता है । तभी कालिया नाग की पत्नी कृष्ण से कहती है की -दया प्रभु दया इन्हे छोड़ दे ,मैया कहा है तो मैया को विधवा ना करे । कालिया नाग भी कृष्ण के चरणों के आगे नतमस्तक होकर छमा मांगने लगता है । 
    कृष्ण कालिया नाग से बोले -छमा मिलेगी परंतु एक शर्त पर की तुम यमुना को छोड़ कर यमुना के रास्ते होकर समुद्र के मध्य स्थित रमण द्वीप पर जा कर निवास करो जो की महान सर्पो के रहने का एक स्थान है । इस पर कालिया नाग बोला की -हे नाथ ;पहले मै रमण द्वीप पर ही रहता था परंतु एक दिन आपके वाहन गरुड मेरे प्राण लेने के लिए मुझ पर आक्रमण किया तो उनके भय से मै अपनी पत्नियों के साथ यमुना मे आ कर छुप गया आप तो जानते है की सौरंग ऋषि के श्राप के कारण गरुड यहा नहीं आ सकते है । 
    garun
    garun

    कृष्ण बोले -नहीं नागराज अब गरुड तुम्हें कुछ नहीं करेगे क्योकि तुम्हारे ऊपर हमारी चरण धूलि है इसको देख कर गरुड तुम्हें मारने की बजाए इस चरण धूलि को नमसकर करेगे । अब हमे ऊपर ले चलो । 
    जब कृष्ण को कालिया नाग ऊपर लाता है तो मैया सहित सारे गोकुल वासी मारे खुशी के पागल हो जाते है और फिर कृष्ण कालिया नाग के ऊपर नाचने लगते है उनके साथ साथ सारे गोकुल वाले भी नाचने लगते है और आकाश से देवता फूल बरसाने लगते है । उसके बाद कालिया नाग कृष्ण को तट पर उतार कर यमुना जी से सदा के लिए चला जाता है । और इस तरह भगवान ने अपनी एक और लीला की । 
  • krishna and fruit

    krishna and fruit

                              

    एक समय की बात है एक बार गोकुल मे एक फल बेचने वाली थी वो फल बेच कर अपना जीवन यापन कर रही थी और प्रभु की भक्ति करती थी एक बार वो सारा दिन गाँव मे घूमती रही  सुबह से शाम हो गई परंतु उसकी बोहनी भी ना हुई और वो जिस किसी से भी पूछती की बेटा फल ले लो ताजे और मीठे है तो लोग बोलते ना माई आज जरूरत नहीं है । बहुत ही दुखी और परेशान हो गई थी की शायद आज उसे भूका ही सोना ना पड़ जाए। यही विचार अपने मन मे लिए वो आगे बढ़ती जा रही थी और बोलती जा रही थी की -फल ले लो फल ताजे ताजे फल ले लो । यही बोलते बोलते वो फल बेचने वाली नन्द बाबा के भवन के पास जा पाहुची और अपनी फलो से भरी टोकरी को अपने सर से उतारा और वही बैठ कर अपना पसीना पोछने लगी और ऊपर आसमान की तरफ देख कर बोली की -आज भूका ही रक्खो गे प्रभु । 
    फिर वो भवन के अंदर देखने लगी की शायद यशोदा रानी देख जाए तो कुछ फल ले ले परंतु वहा कोई नहीं था । तो उस फल बेचने वाली ने कृष्ण को पुकारा -लल्ला अरे ओ लल्ला  कहा हो तुम फल ले लो । कुछ देर ऐसा पुकारने के बाद कृष्ण भवन के बाहर आए सर पर मोर मुकुट पैरो मे पैजनिया कमर मे कमर बंध और उसमे एक छोटी और प्यारी से मुरली धारण किए हुए अपने छोटे छोटे  कमल चरणों के द्वारा उस फल बेचने वाली  के पास आए और बड़े ही प्यार से बोले -हे माई क्या काम है ,मैया तो है नहीं । वो फल बेचने वाली  कुछ देर तक प्रभु को एक टक देखती रही फिर उस फल बेचने वाली  ने कहा की लल्ला तुझको तो देखकर ही मेरी सारी थकान जैसे गायब ही हो गई है । ऐसा क्या जादू है रे तुझमे । 

    कृष्ण बोले -मै कोई जादूगर थोड़े ही हु मै तो अपनी मैया का लल्ला हु । परंतु तुमको क्या चाहिए । तो उस फल बेचने वाली  ने कहा -फल लायी हु थोड़े से लो तो आज भूका ना सोना पडे । उस फल बेचने वाली  की बात सुनकर कृष्ण बोले -मैया तो है नहीं । इस पर उस फल बेचने वाली  ने कहा की -मैया नहीं है तो क्या हुआ तुम ही ले लो । तब कृष्ण बोले -पर तुम तो धन मगोगी और धन तो मेरे पास है नहीं । तो उस फल बेचने वाली  ने कहा -अगर धन नहीं है तो थोड़ा सा अनाज ही  दे देना रे । 
    कृष्ण दौड़ कर भवन के अंदर गए और अपनी अंजुली मे अनाज भर कर चल दिये कृष्ण के हाथ छोटे है तो रास्ते मे अनाज गिरता भी जा रहा था और जब कृष्ण  उस फल बेचने वाली  के पास पहुचे तो उनके हाथो मे सिर्फ अनाज के कुछ ही दाने बचे थे । उस फल बेचने वाली ने कहा -कितना अनाज लाये हो लल्ला । तो कृष्णा बोले -वो मेरे हाथ छोटे है ना तो सारा अनाज रास्ते मे ही  गिर गया अब ये ही बचा है । 
     फल बेचने वाली ने कहा -कोई बात नहीं ये ही बहुत है उसने सारे फल कृष्ण को दे दिये और वो अनाज के दाने को अपनी टोकरी मे रख कर जाने लगी और बोली की -आज बड़ा ही अच्छा सौदा हुआ है हा बड़ा ही अच्छा सौदा हुआ है । और जब वो फल बेचने वाली अपने घर पाहुची तो उसने अपनी  टोकरी मे देखा तो उसकी आंखे फटी की फटी रह है उसकी आश्चर्य का कोई ठिकाना ही न रहा जो अनाज के दाने कृष्ण ने दिये थे वो अब बहुमूल्य रत्नो और हीरे मोती मे बादल गए थे जिनसे पूरी टोकरी ही भरी थी । ये देख कर उस फल बेचने वाली ने कृष्ण को हाथ जोड़कर धन्यवाद किया । 
    इस प्रकार प्रभु ने उस फल बेचने वाली पर कृपा की और अपनी एक और लीला का विस्तार किया । 
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